Details, Fiction and bhairav kavach

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पातु मां बटुको देवो भैरवः सर्वकर्मसु ॥

ऊर्ध्व पातु विधाता च पाताले नन्दको विभुः।

ॐ ह्रीं नाभिदेशे कपाली च लिङ्गे भीषणभैरवः ।

।। इति रुद्रयामले महातन्त्रे महाकाल भैरव कवचं सम्पूर्णम् ।।

कथयामि श्रृणु प्राज्ञ बटुककवचं शुभम्।

पातु शाकिनिका पुत्रः सैन्यं वै कालभैरवः

नमस्त्रैलोक्यनाथाय नाथनाथाय वै नमः ॥ २१॥

आपदुद्धारणायेति त्वापदुद्धारणं नृणाम् ।

महाकालोऽवतु क्षेत्रं श्रियं मे सर्वतो गिरा ।

पूर्वस्यामसितांगो मां दिशि website रक्षतु सर्वदा

भगवन्सर्ववेत्ता त्वं देवानां प्रीतिदायकम् ।

शङ्खवर्णद्वयो ब्रह्मा बटुकश्चन्द्रशेखरः ॥ ५॥

बटुक भैरव कवच का व्याख्यान स्वयं महादेव ने किया है। जो इस बटुक भैरव कवच का अभ्यास करता है, वह सभी भौतिक सुखों को प्राप्त करता है।

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